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| WhatsApp यूज़र्स सावधान! साइबर ठगों का नया जाल |
WhatsApp यूज़र्स सावधान! साइबर ठगों का नया जाल – ‘फर्जी कोर्ट सम्मन फ्रॉड’ से कैसे बचें जानिए पूरी रिपोर्ट
आज के डिजिटल युग में जब हर व्यक्ति WhatsApp और सोशल मीडिया का उपयोग करता है, साइबर अपराधियों ने भी अपनी रणनीति बदल दी है। पहले जहां ठगी के तरीके बैंकिंग या KYC अपडेट तक सीमित थे, अब ठगों ने न्यायपालिका और पुलिस के नाम पर लोगों को फंसाने का नया तरीका खोज लिया है। हाल ही में राजस्थान पुलिस साइबर क्राइम शाखा ने एक बेहद खतरनाक और नए साइबर फ्रॉड — “फर्जी कोर्ट सम्मन/वारंट धोखाधड़ी” — की चेतावनी जारी की है। इस ठगी में अपराधी खुद को न्यायालय अधिकारी या पुलिसकर्मी बताकर निर्दोष नागरिकों को डराते हैं और ऑनलाइन माध्यम से उनकी मेहनत की कमाई हड़प लेते हैं। यह ठगी अब पूरे देश में फैल रही है, और WhatsApp इसका मुख्य माध्यम बन गया है।
इस लेख में हम विस्तार से जानेंगे कि यह फ्रॉड कैसे होता है, अपराधी कैसे जाल बिछाते हैं, और आप खुद को इस खतरनाक साइबर ठगी से कैसे बचा सकते हैं।
WhatsApp Cyber Fraud क्या है?
WhatsApp साइबर फ्रॉड का मतलब है ऐसा ऑनलाइन अपराध जिसमें ठग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे WhatsApp, Email या Telegram के माध्यम से नकली संदेश या दस्तावेज भेजकर लोगों को धोखा देते हैं।
इस नए फर्जी कोर्ट सम्मन धोखाधड़ी में, अपराधी नागरिकों को डराने के लिए न्यायालय या पुलिस विभाग का रूप धारण करते हैं। वे WhatsApp पर डिजिटल हस्ताक्षर वाले नकली कोर्ट सम्मन, जमानती वारंट या झूठी FIR नोटिस भेजते हैं। इन दस्तावेजों को देखकर कोई भी सामान्य व्यक्ति घबरा जाता है और ठगों के झांसे में आ जाता है।
कैसे होता है यह फर्जी कोर्ट सम्मन फ्रॉड?
राजस्थान पुलिस के डीआईजी विकास शर्मा के अनुसार, अपराधी इस ठगी के लिए अत्यंत संगठित तरीके से काम करते हैं। आइए समझते हैं उनका पूरा तरीका:
पहला कदम: अपराधी किसी नागरिक का मोबाइल नंबर या ईमेल पता सोशल मीडिया या डाटा लीक वेबसाइट से हासिल करते हैं।
दूसरा कदम: फिर वे WhatsApp या Email के माध्यम से एक “फर्जी कोर्ट सम्मन” भेजते हैं, जिसमें डिजिटल हस्ताक्षर और सरकारी लोगो भी होता है, ताकि दस्तावेज असली लगे।
तीसरा कदम: पीड़ित को बताया जाता है कि उसके खिलाफ कोई केस दर्ज हुआ है या गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है।
चौथा कदम: ठग पीड़ित को डराकर कहते हैं कि अगर वह तुरंत कुछ कानूनी शुल्क या जमानत राशि नहीं देगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
पांचवां कदम: डरे हुए लोग बिना जांच-पड़ताल किए UPI, वॉलेट या बैंक ट्रांसफर के माध्यम से पैसे भेज देते हैं — और ठगी का शिकार बन जाते हैं।
साइबर ठगों की चालें कितनी खतरनाक हैं
आज के साइबर अपराधी पहले से ज्यादा चालाक हो चुके हैं। वे AI आधारित फेक डाक्यूमेंट्स, डीपफेक ऑडियो-विजुअल और वर्चुअल नंबर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे उनका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
कई मामलों में ठगों ने “पुलिस अधिकारी” बनकर पीड़ितों को वीडियो कॉल पर भी डराया है। इन वीडियो कॉल में वे फर्जी वर्दी पहनकर पीड़ित को धमकाते हैं, जिससे डर का माहौल बन जाता है और लोग सोचते हैं कि यह असली पुलिस है।
राजस्थान पुलिस की चेतावनी और गाइडलाइन
राजस्थान पुलिस की साइबर शाखा ने आम जनता को सतर्क रहने की सलाह दी है और 5 महत्वपूर्ण सुरक्षा उपाय बताए हैं:
1. सत्यापन करें
अगर आपको कोई कोर्ट सम्मन, वारंट या कानूनी नोटिस WhatsApp या Email पर मिलता है, तो तुरंत स्थानीय न्यायालय या पुलिस थाने से उसकी पुष्टि करें। असली दस्तावेज कभी सोशल मीडिया से नहीं भेजे जाते।
2. संदिग्ध लिंक पर क्लिक न करें
किसी भी संदेश में आए लिंक पर क्लिक करने से बचें। ये लिंक मैलवेयर या फिशिंग वेबसाइट से जुड़े हो सकते हैं जो आपकी निजी जानकारी चुरा सकते हैं।
3. ऑनलाइन भुगतान से बचें
किसी भी व्यक्ति द्वारा मांगी गई “जमानत राशि” या “फीस” ऑनलाइन ट्रांसफर न करें, जब तक कि आप उस स्रोत की पूरी तरह जांच न कर लें।
4. दस्तावेजों की जांच करें
यदि कोई वीडियो कॉल, नोटिस या ईमेल संदिग्ध लगे, तो तुरंत साइबर हेल्पलाइन पर संपर्क करें। खुद जांच-पड़ताल करने की कोशिश करें।
5. गोपनीय जानकारी साझा न करें
कभी भी अपना बैंक विवरण, आधार नंबर, पासवर्ड या OTP किसी अनजान व्यक्ति को न दें। असली अधिकारी कभी WhatsApp पर ऐसी जानकारी नहीं मांगते।
अगर आप शिकार बन जाएं तो क्या करें
अगर आप इस तरह की ठगी का शिकार हो जाते हैं, तो तुरंत कदम उठाएं:
साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल करें।
या फिर https://cybercrime.gov.in वेबसाइट पर जाकर शिकायत दर्ज करें।
अपने बैंक या वॉलेट प्रदाता को तुरंत सूचित करें ताकि ट्रांजेक्शन रोका जा सके।
यदि आवश्यक हो, तो निकटतम साइबर पुलिस स्टेशन में लिखित शिकायत करें।
भारत में बढ़ते साइबर अपराधों के आंकड़े
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, भारत में पिछले पांच वर्षों में साइबर अपराधों में 300% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। WhatsApp, Telegram, और Facebook जैसे प्लेटफॉर्म इन ठगों के प्रमुख माध्यम बन चुके हैं।
हर दिन हजारों नागरिक किसी न किसी रूप में फिशिंग, OTP फ्रॉड, या फर्जी कोर्ट सम्मन जैसी ठगी का सामना कर रहे हैं।
सुरक्षित रहने के लिए क्या करें
हमेशा अपने फोन और ईमेल पर आने वाले संदेशों की जांच करें।
एंटीवायरस सॉफ्टवेयर और फायरवॉल का उपयोग करें।
सोशल मीडिया पर अपनी पर्सनल जानकारी सीमित करें।
साइबर सुरक्षा से संबंधित जागरूकता अभियान में हिस्सा लें।
सरकार और पुलिस की पहल
भारत सरकार ने नागरिकों को साइबर अपराध से बचाने के लिए कई कदम उठाए हैं —
राष्ट्रीय साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (https://cybercrime.gov.in)
साइबर हेल्पलाइन 1930
राज्य स्तरीय साइबर पुलिस स्टेशन
डिजिटल इंडिया साइबर सुरक्षा पहल
इन प्रयासों के माध्यम से सरकार नागरिकों को अधिक सुरक्षित डिजिटल वातावरण प्रदान करने की दिशा में काम कर रही है।
निष्कर्ष (Conclusion)
डिजिटल दुनिया जितनी सुविधाजनक है, उतनी ही जोखिमभरी भी हो चुकी है। WhatsApp Court Summon Fraud जैसे नए साइबर अपराध हमें यह याद दिलाते हैं कि जागरूक रहना ही सबसे बड़ा हथियार है।
हम सबको चाहिए कि किसी भी संदेश या कॉल पर आंख मूंदकर भरोसा न करें, खासकर जब बात कानूनी नोटिस या भुगतान से जुड़ी हो।
जरा सी सावधानी, सही जानकारी और सतर्कता से हम खुद को और अपने परिवार को ऐसे साइबर ठगों से बचा सकते हैं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. क्या पुलिस या कोर्ट असली सम्मन WhatsApp पर भेजते हैं?
नहीं, असली कोर्ट सम्मन या वारंट केवल डाक या अधिकृत माध्यमों से भेजे जाते हैं। किसी भी डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे WhatsApp या Email से भेजा गया सम्मन असली नहीं होता।
2. अगर मुझे फर्जी कोर्ट सम्मन WhatsApp पर मिले तो क्या करें?
सबसे पहले उस दस्तावेज़ की सत्यता की जांच करें और साइबर पुलिस या न्यायालय से संपर्क करें। साथ ही cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं।
3. क्या WhatsApp से बैंक विवरण या OTP साझा करना सुरक्षित है?
नहीं, कभी नहीं। ऐसा करने से ठग आपके अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं। असली संस्थाएं कभी WhatsApp पर OTP या अकाउंट डिटेल नहीं मांगतीं।
4. साइबर ठगी की शिकायत कैसे करें?
आप सीधे साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर कॉल कर सकते हैं या https://cybercrime.gov.in पर ऑनलाइन रिपोर्ट दर्ज कर सकते हैं।
5. क्या इस तरह की ठगी केवल WhatsApp पर होती है?
नहीं, ये ठग Email, Telegram, Facebook, और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म्स पर भी सक्रिय रहते हैं। इसलिए हर माध्यम पर सतर्क रहना जरूरी है।

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