क्यों बंद हुई रूस में WhatsApp और Telegram कॉलिंग? असली वजह जानकर आप हैरान रह जाएंगे

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रूस में WhatsApp और Telegram कॉलिंग पर लगी रोक
रूस में WhatsApp और Telegram कॉलिंग पर लगी रोक

रूस में WhatsApp और Telegram कॉलिंग पर ताले – जानें पुतिन सरकार का गुप्त डिजिटल मास्टरप्लान

रूस में डिजिटल संचार की दुनिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है, जब राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की सरकार ने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप्स WhatsApp और Telegram पर कॉलिंग फीचर को आंशिक रूप से प्रतिबंधित करने का ऐलान किया। यह निर्णय रूस की सुरक्षा और कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा लगातार बढ़ते साइबर अपराध, धोखाधड़ी, और आतंकी गतिविधियों से निपटने के प्रयास का हिस्सा है। सरकारी एजेंसी Roskomnadzor ने स्पष्ट किया है कि इन ऐप्स का इस्तेमाल अब पारंपरिक वॉइस कॉल के विकल्प के रूप में किया जा रहा है, लेकिन इनके जरिए गैरकानूनी गतिविधियों का प्रसार भी बढ़ रहा है।

रूसी अधिकारियों का मानना है कि यूक्रेन के माध्यम से Telegram जैसे प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है, जहां लोगों को भर्ती करने, तोड़फोड़ करने और आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने की कोशिशें हो रही हैं। इसीलिए रूस चाहता है कि ये कंपनियां कानून प्रवर्तन एजेंसियों को आवश्यक डेटा तक सीधी पहुंच प्रदान करें, ताकि अपराध और आतंकवाद की जांच में तेजी लाई जा सके। जब तक यह शर्त पूरी नहीं होती, कॉलिंग फीचर पर प्रतिबंध लागू रहेगा।

यह कदम रूस की ऑनलाइन स्वतंत्रता पर पहले से लागू सख्त नियंत्रण को और मजबूत करता है। यूक्रेन युद्ध के बाद से रूस ने सोशल मीडिया और मैसेंजर प्लेटफॉर्म्स पर निगरानी काफी बढ़ा दी है, ताकि सरकार के मानकों के अनुसार “गैरकानूनी” या “खतरनाक” माने जाने वाले कंटेंट को सीमित किया जा सके। इस फैसले से जहां सुरक्षा एजेंसियों को जांच में मदद मिलेगी, वहीं लाखों रूसी यूजर्स की डिजिटल स्वतंत्रता और प्राइवेसी को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।


रूस का नया डिजिटल प्रतिबंध – क्या है पृष्ठभूमि

रूस में WhatsApp और Telegram जैसे विदेशी मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर लंबे समय से सरकार की नजर बनी हुई है। यूक्रेन के साथ चल रहे तनाव और बढ़ते साइबर खतरों के बीच, रूसी अधिकारियों का मानना है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर कॉलिंग फीचर का इस्तेमाल अपराधियों और आतंकवादियों द्वारा किया जा रहा है। यही कारण है कि Roskomnadzor ने इन ऐप्स पर कॉलिंग सुविधा को आंशिक रूप से बंद करने का आदेश जारी किया।


सुरक्षा एजेंसियों के आरोप और चिंताएं

रूसी सुरक्षा एजेंसियों का आरोप है कि यूक्रेन के नेटवर्क और Telegram ग्रुप्स के माध्यम से रूस के नागरिकों को तोड़फोड़, हमलों और अवैध गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस तरह की डिजिटल संचार प्रणाली की वजह से अपराधियों को सुरक्षित और ट्रैकिंग-प्रूफ माध्यम मिल रहा है। इसी कारण सरकार चाहती है कि मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स न केवल फ्रॉड बल्कि आतंकवाद संबंधी मामलों में भी जांच एजेंसियों को डेटा प्रदान करें।


डेटा एक्सेस और रूसी कानून

रूस ने साफ कर दिया है कि कॉलिंग सुविधा तभी बहाल होगी जब कंपनियां रूसी कानून के तहत डेटा एक्सेस उपलब्ध कराएंगी। इसका मतलब है कि किसी भी संदिग्ध कॉल या बातचीत की जांच के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों को सीधा एक्सेस मिलेगा।


Telegram का आधिकारिक जवाब

Telegram ने AFP को दिए बयान में कहा कि वह अपने प्लेटफॉर्म पर होने वाले दुरुपयोग के खिलाफ लगातार काम करता है। कंपनी के अनुसार, वह रोजाना लाखों हानिकारक कंटेंट हटाती है, जिसमें धोखाधड़ी, हिंसा के लिए उकसाना और तोड़फोड़ जैसे पोस्ट शामिल होते हैं। हालांकि, डेटा एक्सेस पर कंपनी का रुख अभी भी सीमित है, क्योंकि यह यूजर प्राइवेसी से जुड़ा मुद्दा है।


WhatsApp की चुप्पी और Meta का रुख

WhatsApp ने फिलहाल इस नए प्रतिबंध पर कोई बयान नहीं दिया है। लेकिन Meta, जो WhatsApp की पैरेंट कंपनी है, पहले कई बार सरकारों के डेटा एक्सेस संबंधी अनुरोधों को लेकर सख्त रुख दिखा चुकी है और केवल कानूनी दायरे में आने वाले मामलों में ही सहयोग करती है।


रूस में डिजिटल स्वतंत्रता पर असर

यूक्रेन युद्ध के बाद रूस ने प्रेस और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की स्वतंत्रता पर काफी नियंत्रण कर लिया है। कई अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगाई गई या उनका संचालन सीमित किया गया। अब WhatsApp और Telegram कॉलिंग पर आंशिक प्रतिबंध इस दिशा में एक और कदम है, जो डिजिटल अधिकारों को सीमित करता है।


रूस की पाबंदी से क्या बदलेगा

इस पाबंदी के बाद रूस में WhatsApp और Telegram यूजर्स कॉलिंग फीचर का सीमित उपयोग कर पाएंगे, लेकिन टेक्स्ट मैसेजिंग और अन्य सुविधाएं फिलहाल चालू रहेंगी। हालांकि, यदि कंपनियां डेटा एक्सेस देने के लिए तैयार हो जाती हैं, तो कॉलिंग सुविधा फिर से शुरू हो सकती है।


निष्कर्ष

रूस का यह फैसला साइबर सुरक्षा और आतंकवाद से निपटने की दिशा में एक कड़ा कदम है, लेकिन इससे डिजिटल स्वतंत्रता और यूजर प्राइवेसी को लेकर कई सवाल खड़े हो गए हैं। जहां एक ओर यह कदम सरकार को अपराध रोकने में मदद कर सकता है, वहीं दूसरी ओर यह आम नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सीमित करने का कारण भी बन सकता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या WhatsApp और Telegram रूसी कानून के अनुरूप डेटा एक्सेस देने पर सहमत होते हैं या नहीं।


FAQs

Q1. क्या रूस में WhatsApp और Telegram पूरी तरह बंद हो गए हैं?
नहीं, फिलहाल केवल कॉलिंग फीचर पर आंशिक पाबंदी लगाई गई है, मैसेजिंग सेवा चालू है।

Q2. यह पाबंदी क्यों लगाई गई?
सरकार का कहना है कि इन ऐप्स का इस्तेमाल धोखाधड़ी और आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों के लिए किया जा रहा है।

Q3. कॉलिंग फीचर कब बहाल होगा?
जब कंपनियां रूसी कानून के तहत डेटा एक्सेस देने लगेंगी।

Q4. Telegram ने इस पाबंदी पर क्या कहा है?
Telegram का कहना है कि वह रोजाना लाखों हानिकारक कंटेंट हटाता है और प्लेटफॉर्म के दुरुपयोग से निपटने के लिए काम करता है।

Q5. WhatsApp ने कोई बयान दिया है?
नहीं, WhatsApp ने अब तक इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है।

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