Matric Paper Leaked: पहली बार WhatsApp ग्रुप और QR स्कैन के जरिए हुआ बड़ा खुलासा, जानिए पूरा मामला

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Matric Paper Leaked: पहली बार WhatsApp ग्रुप और QR स्कैन के जरिए हुआ बड़ा खुलासा, जानिए पूरा मामला
Matric Paper Leaked: पहली बार WhatsApp ग्रुप और QR स्कैन के जरिए हुआ बड़ा खुलासा, जानिए पूरा मामला

झारखंड में मैट्रिक परीक्षा रद्द: WhatsApp और QR कोड के जरिए हुआ पेपर लीक

झारखंड बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में इस बार बड़ी धांधली सामने आई है। 11 फरवरी से शुरू हुई JAC बोर्ड 10वीं परीक्षा 2025 के दौरान हिंदी और विज्ञान के प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले ही लीक हो गए। जब बोर्ड ने जांच की तो यह मामला सही पाया गया, जिसके बाद पूरे राज्य में परीक्षा रद्द कर दी गई।

बोर्ड की जांच में पता चला कि पेपर परीक्षा से दो दिन पहले ही लीक हो गया था। जब परीक्षा के बाद वास्तविक प्रश्न पत्र से मिलान किया गया तो दोनों प्रश्न पत्र पूरी तरह एक जैसे पाए गए। इससे साफ हो गया कि पेपर लीक हुआ था, जिसके बाद परीक्षा को तुरंत रद्द करने का फैसला लिया गया।

पेपर लीक मामले में सरकार ने दिए जांच के आदेश

पेपर लीक की खबर सामने आने के बाद राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने गुरुवार दोपहर हाई-लेवल मीटिंग बुलाई। इस बैठक में पूरे मामले की गहन जांच के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का फैसला लिया गया।

JAC बोर्ड के अध्यक्ष नटवा हांसदा ने कहा कि यह पहली बार हुआ है जब पेपर WhatsApp ग्रुप और QR स्कैनर के जरिए लीक हुआ। इस मामले की हाई-लेवल कमेटी द्वारा जांच कराई जाएगी ताकि पता लगाया जा सके कि आखिर यह लीक कैसे हुआ और कौन इसके पीछे है।

WhatsApp ग्रुप और QR कोड से जुड़ा पेपर लीक का तार

प्रारंभिक जांच में यह खुलासा हुआ है कि पेपर लीक की जड़ें झारखंड के कोडरमा और गिरिडीह जिलों से जुड़ी हैं। जांच में पाया गया कि "JAC Board Examination Question Paper 2025" नाम से एक WhatsApp ग्रुप बनाया गया था, जहां से परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक किए गए।

इस ग्रुप में छात्रों को एक QR कोड स्कैन करने के लिए कहा गया, जिसके जरिए वे परीक्षा के प्रश्न पत्र तक पहुंच सकते थे।

स्कैन करो और प्रश्न पत्र पाओ – 350 रुपये में बिक रहा था पेपर!

पेपर लीक करने वाले गिरोह ने बेहद चौंकाने वाला तरीका अपनाया। छात्रों से पेपर देने के एवज में 350 रुपये की मांग की जा रही थी।

  • पहले एक QR कोड साझा किया जाता था

  • इसे स्कैन करने पर एक लिंक खुलता था, जहां पेपर उपलब्ध होता था।

  • पेमेंट करने के बाद छात्रों को PDF फाइल भेज दी जाती थी।

  • पेपर को एक्सेस करने के लिए एक पासवर्ड दिया जाता था, जो पैसे मिलने के बाद ही मिलता था।

इस ग्रुप का लिंक सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म्स पर भी शेयर किया गया था, जिससे 1000 से अधिक लोग इससे जुड़ गए।

कोडरमा के स्कूलों में हुआ खुलासा – हूबहू प्रश्न पत्र मिले

जब साइंस की परीक्षा खत्म होने के बाद कोडरमा के दो अलग-अलग स्कूलों में जांच हुई, तो छात्रों ने हूबहू वही प्रश्न पत्र मिलने की पुष्टि की

छात्रों ने बताया कि यही प्रश्न पत्र परीक्षा से पहले सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे थे। इससे साफ हो गया कि पेपर लीक गिरोह ने पहले से ही प्रश्न पत्र सोशल मीडिया पर बेच दिया था।

पेपर लीक का मास्टरमाइंड कौन? पुलिस की जांच जारी

इस बड़े खुलासे के बाद पुलिस और प्रशासन की टीम पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही है। सरकार ने साफ कर दिया है कि इस गड़बड़ी में जो भी शामिल होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

बोर्ड ने भी यह संकेत दिया है कि अब परीक्षा प्रणाली को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए डिजिटल और साइबर सिक्योरिटी उपाय अपनाए जाएंगे ताकि भविष्य में इस तरह के मामलों को रोका जा सके।

निष्कर्ष: तकनीक का दुरुपयोग बना चुनौती

आज के दौर में तकनीकी विकास ने जहां शिक्षा को डिजिटल रूप दिया है, वहीं इसका गलत इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ रहा है। WhatsApp ग्रुप और QR कोड स्कैनर के जरिए पेपर लीक होना एक नई चुनौती बनकर सामने आया है।

अब देखने वाली बात होगी कि झारखंड सरकार और JAC बोर्ड इस मामले में कैसे कार्रवाई करता है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए जाते हैं।

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