WhatsApp पर लगी अस्थाई रोक हटी NCLAT का अहम फैसला, 58 करोड़ Users पर असर, जानिए क्या बदलेगा?

0
WhatsApp पर लगी अस्थाई रोक हटी NCLAT का अहम फैसला, 58 करोड़ Users पर असर, जानिए क्या बदलेगा?
WhatsApp पर लगी अस्थाई रोक हटी NCLAT का अहम फैसला, 58 करोड़ Users पर असर, जानिए क्या बदलेगा?

WhatsApp पर लगी अस्थाई रोक हटी NCLAT का अहम फैसला, 58 करोड़ Users पर असर, जानिए क्या बदलेगा?

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने WhatsApp के पक्ष में एक बड़ा फैसला सुनाते हुए उसकी नई डेटा शेयरिंग नीति पर लगी अस्थाई रोक को हटा दिया है। यह निर्णय देश में WhatsApp के 58 करोड़ Users को सीधे प्रभावित करेगा। यह मामला 2021 से लंबित था, जब भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने WhatsApp की डेटा साझा करने की नीति पर सवाल उठाए थे और इसे अस्थाई रूप से रोक दिया गया था।

डेटा शेयरिंग नीति का उद्देश्य और प्रभाव

WhatsApp की नई डेटा शेयरिंग नीति मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक और इंस्टाग्राम के साथ डेटा साझा करने की अनुमति देती है। इस नीति का उद्देश्य व्यक्तिगत विज्ञापनों को बेहतर बनाना और Users के अनुभव को अधिक अनुकूल बनाना है। हालांकि, इसका सीधा असर Users की निजता पर पड़ेगा, जिसके कारण यह नीति विवादों में रही है।

CCI ने क्यों लगाई थी रोक?

भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने WhatsApp की नई नीति पर सवाल उठाते हुए 2021 में इसकी आलोचना की थी। सीसीआई का कहना था कि यह नीति Users की निजता के लिए खतरा है और डेटा का गलत इस्तेमाल हो सकता है। इसके आधार पर नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने इस नीति पर अस्थाई रोक लगाई थी।

WhatsApp की अपील और NCLAT का फैसला

मेटा ने CCI के आदेश को चुनौती देते हुए NCLAT में अपील की। मेटा का तर्क था कि इस प्रतिबंध के कारण WhatsApp को भारत में कई सुविधाओं को रोकना पड़ सकता है। इसके अलावा, मेटा ने यह भी दावा किया कि इस रोक से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर व्यक्तिगत विज्ञापनों की क्षमता में बाधा उत्पन्न हो रही है। NCLAT ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए WhatsApp की नीति पर लगी अस्थाई रोक हटा दी।

Users के लिए क्या बदलेगा?

WhatsApp अब मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म्स के साथ Users का डेटा साझा कर सकेगा। हालांकि, ट्रिब्यूनल ने यह स्पष्ट किया है कि WhatsApp को Users को 2021 की गोपनीयता नीति से बाहर निकलने (ऑप्ट-आउट) का विकल्प देना होगा। इसका मतलब है कि Users के पास यह अधिकार होगा कि वे अपनी जानकारी साझा करना चाहें या नहीं।

मेटा का बयान

मेटा के प्रवक्ता ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह भारत में उनके व्यापार मॉडल को स्थिरता प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि कंपनी Users के हितों का ध्यान रखते हुए आगे के कदम उठाएगी।

डेटा शेयरिंग पर बढ़ती चिंताएं

इस फैसले से Users के बीच डेटा प्राइवेसी को लेकर चिंता बढ़ सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि डेटा शेयरिंग से Users की गोपनीयता पर असर पड़ सकता है और इसे लेकर पारदर्शिता आवश्यक है।

निष्कर्ष

NCLAT के इस फैसले ने WhatsApp की नई नीति को हरी झंडी दे दी है, लेकिन इसके साथ ही डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। Users को अब सतर्क रहना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे अपनी जानकारी किस हद तक साझा करना चाहते हैं।


Tags

Post a Comment

0 Comments
Post a Comment (0)
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now
To Top