साइबर अपराधियों की खैर नहीं: सरकार ने 17,000 WhatsApp Accounts को किया बंद!

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साइबर अपराधियों की खैर नहीं: सरकार ने 17,000 WhatsApp Accounts को किया बंद!
साइबर अपराधियों की खैर नहीं: सरकार ने 17,000 WhatsApp Accounts को किया बंद!

साइबर अपराधियों की खैर नहीं: सरकार ने 17,000 WhatsApp Accounts को किया बंद!

WhatsApp Cyber Fraud - आज के डिजिटल युग में साइबर फ्रॉड की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। कई लोग इन घटनाओं के कारण आर्थिक नुकसान का शिकार बनते हैं। इस बढ़ती समस्या को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। गृह मंत्रालय की I4C विंग ने दूरसंचार विभाग के सहयोग से दक्षिण-पूर्व एशिया में सक्रिय साइबर अपराधियों द्वारा उपयोग किए जा रहे 17,000 से अधिक WhatsApp Accounts को ब्लॉक किया है।

I4C: साइबर अपराध रोकने का केंद्र

I4C (इंडियन साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर) गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाला संगठन है, जो साइबर और डिजिटल अपराधों को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है। इस कदम का मुख्य उद्देश्य साइबर अपराधियों की गतिविधियों को रोकना और आम नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करना है।

डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड: एक नई चुनौती

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट साइबर अपराध का एक नया तरीका है। इसमें अपराधी खुद को पुलिस, सीबीआई, या कस्टम अधिकारी के रूप में पेश करते हैं। वे फर्जी आरोप लगाकर पीड़ित को डरा-धमकाकर बंधक बना लेते हैं। इसके साथ ही वे पीड़ित को वीडियो कॉल पर रखते हैं और विभिन्न बहाने बनाकर उनसे पैसे ऐंठते हैं।

कैसे होता है डिजिटल अरेस्ट का खेल?

  1. फर्जी आरोप: स्कैमर्स पीड़ित को बताते हैं कि उनके पैन या आधार कार्ड का उपयोग किसी अवैध कार्य के लिए किया गया है।

  2. डर का माहौल: वे दावा करते हैं कि कोई प्रतिबंधित सामग्री वाला पार्सल पीड़ित के नाम पर आया है।

  3. लोगों को भ्रमित करना: वीडियो कॉल के जरिए लगातार संपर्क में रहकर वे पीड़ित को डराते रहते हैं।

  4. पैसे की उगाही: जब पीड़ित पूरी तरह डर जाता है, तब उनसे पैसे मांगे जाते हैं।

ज्यादातर मामले दक्षिण-पूर्व एशिया से जुड़े

जांच में पाया गया है कि डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड से जुड़े ज्यादातर कॉल सेंटर कंबोडिया, म्यांमार, लाओस और थाईलैंड से सक्रिय हैं। हाल ही में ब्लॉक किए गए नंबरों में से 50% से अधिक इस वर्ष जनवरी में सक्रिय हुए थे।

पीएम मोदी का संदेश: डिजिटल सुरक्षा के लिए जागरूकता आवश्यक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने "मन की बात" कार्यक्रम में डिजिटल अरेस्ट और साइबर फ्रॉड पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी और कहा:

  • किसी भी संदिग्ध कॉल से डरें नहीं।

  • याद रखें कि कोई भी जांच एजेंसी फोन पर जानकारी नहीं मांगती।

  • डिजिटल सुरक्षा के तीन चरण अपनाएं: रुको, सोचो और एक्शन लो।

राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन 1930 का महत्व

पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी साइबर फ्रॉड का सामना होने पर तुरंत राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर संपर्क करें। साथ ही, साइबर अपराधों की रिपोर्ट साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज करें।

साइबर फ्रॉड से बचाव के उपाय

1. सतर्क रहें:

किसी भी अनजान कॉल पर अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें।

2. संदिग्ध लिंक से बचें:

ईमेल, मैसेज, या WhatsApp पर भेजे गए अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें।

3. मजबूत पासवर्ड का उपयोग करें:

अपना पासवर्ड नियमित रूप से बदलें और मजबूत पासवर्ड रखें।

4. साइबर हेल्पलाइन का उपयोग करें:

फ्रॉड का शिकार होने पर तुरंत 1930 नंबर पर संपर्क करें।

निष्कर्ष

साइबर फ्रॉड की घटनाएं हमारे डिजिटल जीवन में एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। सरकार के इस कठोर कदम से न केवल साइबर अपराधियों पर लगाम लगेगी, बल्कि आम जनता में भी जागरूकता बढ़ेगी। खुद को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखने के लिए सतर्कता और डिजिटल सुरक्षा उपाय अपनाना आवश्यक है।


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